हर पल हर घडी़
बेचैनी बढ़ती रही
लेकिन वो मौन खडी़ रही
शंका की ओढ़नी ओढे़
घर की मुंडेर को निहारती रही
वक्त के भारी कदमों की आहट को
पहचानती रही
लेकिन घर-आँगन में उम्मीद के दीये
जलाती रही
वो अपनी खामोशियों को समझाती रही
तुममें केवल दर्द नहीं, आस और प्यार भी है
Kadambari Singh