क़फ़स

यादों , किये गये वादों के

क़फ़स से आजाद हो

कब तक क्या हुआ ये सोच कर

रोते रहें , कब तक ये दुनियाई बातों

के नश्तर चुभोते रहें

औरत- औरत को समझ जाये

ये चीख-चीख कर बोलते रहें

“अब जो हैं तो हैं”

हम जिस दम जाना था

उस दम निकल चले हैं

कारवां जिदंगी का है

जो साथ आना चाहें आ जाएं

जो छूट गये या छोड़ गये

उनको भी हैं दुआएं

Kadambari

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