माँ को जब से देखा
रसोई में देखा
जब रसोई में नहीं देखा
तब जाकर कहीं और
घर के किसी और कोने में देखा
और पिता धूप -ताप सब सहते देखा
सुख -दुःख में अड़िग साथ खड़े देखा
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भीड़ साथ नहीं देती
पहचान भी नहीं देती
अकेले चलने में
साथ और पहचान दोनों अपनी है
Kadambari Kishore