शब्द भी अब निःशब्द हैं
हर समय, हर तरफ दर्द ही बिखरे हैं
इस दर्द ने आवाज़ छीन ली हो शायद
कौन जाने?
इतने मौन में, स्तब्ध कभी नहीं थे शब्द
या शायद ध्यान मुद्रा में हों
और प्रार्थना कर रहे हों ईश्वर से
कि ये दर्द के बादल दूर हों जल्दी
उम्मीद का सूरज चमके फिर से
Kadambari Kishore